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Protest, Violence, and Demand: NEHU in Crisis

Protest, Violence, and Demand. प्रदर्शन। हिंसा। मांग।

नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (एनईएचयू), जो कभी शिलॉन्ग में शिक्षा का गौरव थी, अब संघर्ष का प्रतीक बन गई है। वर्षों से यह प्रतिष्ठित संस्थान मेघालय की पहचान और पूर्वोत्तर भारत के हजारों छात्रों की आकांक्षाओं का केंद्र रहा है। शांत पहाड़ियों के बीच बसी इस यूनिवर्सिटी में अब आक्रोश की आवाज़ें गूंज रही हैं। नेतृत्व के प्रति निराशा और असंतोष ने अब इस पवित्र स्थान को एक विद्रोह के मैदान में बदल दिया है।


छात्रों और शिक्षकों का निशाना है कुलपति प्रोफेसर प्रभा शंकर शुक्ला और उनके साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी। प्रशासन के खिलाफ आवाज़ें उठ रही हैं, और आरोप हैं कि एनईएचयू का स्तर दिन-ब-दिन गिर रहा है। छात्रों का दावा है कि विश्वविद्यालय का प्रशासनिक नेतृत्व संस्थान के भविष्य की उपेक्षा कर रहा है। उनके अनुसार, एनईएचयू का गौरव और मान प्रतिष्ठा का संरक्षण करने में प्रशासन असफल रहा है, जिससे छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है। शिलॉन्ग के बाहरी हिस्से में बसी यह यूनिवर्सिटी, जो कभी शिक्षा के लिए एक आकर्षण केंद्र थी, अब अशांति और असंतोष का गढ़ बन गई है। मेघालय की हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी यह संस्था, जो कभी पूर्वोत्तर भारत में शिक्षा का स्तंभ मानी जाती थी, आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। गौरव की इस धरोहर पर अब संकट मंडरा रहा है।


सिर्फ शब्दों से आगे बढ़ चुके इस विरोध में अब छात्रों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का रास्ता चुना है। कैंपस को घेर लिया गया है, प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं। दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक वास्तविक बदलाव नहीं आएगा, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। यह आंदोलन केवल एक प्रशासनिक विरोध नहीं, बल्कि अपने अधिकारों और भविष्य के प्रति छात्रों का स्पष्ट संदेश है। 10 नवंबर को इस विद्रोह ने एक नया मोड़ ले लिया जब कुछ अज्ञात लोगों ने कुलपति के निवास पर हमला किया, उनकी खिड़कियों को तोड़ दिया और परिसर में दहशत फैला दी। इस तोड़फोड़ ने प्रशासन को हिला कर रख दिया और इस आंदोलन को एक नई गंभीरता दे दी। एफआईआर दर्ज की गई, परंतु यह घटना छात्रों के रोष और उनके संकल्प को दर्शाती है। प्रशासन और छात्रों के बीच का यह तनाव हर दिन बढ़ता जा रहा है।


मेघालय सरकार और स्थानीय संगठनों ने इस विरोध को संज्ञान में लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से संपर्क किया है, इस उम्मीद में कि इस संकट का समाधान निकाला जा सके और एनईएचयू को फिर से शांति और प्रतिष्ठा प्राप्त हो सके। प्रदर्शन, हिंसा, और मांग – ये शब्द अब एनईएचयू की वास्तविकता को परिभाषित कर रहे हैं। मेघालय की शांत भूमि पर आज बदलाव की आवाजें गूंज रही हैं। छात्र और शिक्षक, एकता और साहस के साथ, एक ऐसी लड़ाई में जुटे हैं जो केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है। सवाल यह है: क्या ये आवाज़ें एनईएचयू के भविष्य और उसकी आत्मा को बचाने के लिए पर्याप्त होंगी?

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